कलिला हात
थमायौ है कलम
चिट्ठी आश्रममा।
डोको र नाम्लो
भिर छ पहिरो छ
दाम्रियो पेट।
नबोली बोल्यौ
हेरेनौ मुर्छा पार्यौ
एकल प्रीति।
दाम नाम छ
राज छ नीति छैन
प्रतिज्ञा छैन।
जन्मिय रमें
एकसुर दौडिए
खोक्रो जिन्दगि।
Home Literature पाँच हाइकु
By Kabin R. Luitel At June 05, 2021 0
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